भारत में अंगरेजी राज और हमारी कौम को फिर से मित्रता काम करने का आपके लिए अच्छा मौका है । आप इससे इनकार नहीं कर सकते कि हमारी कौम के साथ आपने बहुत अजा सलूक किया है ( जन्म कि आजकल हमारी और आपकी कौमों में सुलह है)। यदि आप हमारे आदमियों को कासिमअली खाँ के हाथों से निकाल कर हमारे पास भेजने की तदबीर कर सकें तो आप अंगरेजों की कृतज्ञता पर पूरा भरोसा रखिए और हम आपको पचास हजार रुपए शौरन देने का वादा करते हैं !"* 'सीश्ररुल-मुताख़रीन' में लिखा है कि इसके बाद मीर कासिम को किसी तरह गिरफार करने की अंगरेजों को __चिन्ता हुई ! वन्सीटार्ट और वारन हेस्टिंग्स गिरफ्तार करने की योजना ने कलकत्ते के ईसाई सौदागर खोजा पेतरूस से जिसे अागा वेदरूस भी कहते थे, खोजा निगरी के नाम जिसे गुरघिन खाँ भी कहते थे, इस सम्बन्ध में एक पत्र
- " We are persuaded also that it must have been the most absolute
necessity only which could have engaged you in so dishonourable a service to a Christian as that of the moors, who always treat with the grossest britality those of our religion and Europeans when it is in their power to do it with impunity A favourable opportunity now offers to enable you to rnd yourself of so ixksome a slavery and to reconcile yourself with our nation towards which you can not deny but you have acted very improperly ( and winch is now at peace with yours) It you can contrive means for the delivery of our gentlemen from the power of Cossum Ally Khan and wil convey theul to us, you may place a firrn reliance on the gratitude of the English and we promise you ifty thousand Rupees immediately-"-Lette dated 19th September, 1763, from Adams and Carmac to one Monsieur Genti ___in the employ of Meer Kassim -Long's Records, pp 332, 333