पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज - पहली जिल्द.djvu/४५१

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मीर का़सिम

मीर कासिम १६१ यह अंगरेज नवाव की सेना से निकल कर अंगरेजो सेना की ओर चला पाया और वहाँ से शत्रु की सेना को साथ ले उसी मार्ग से रातों रात अचानक नवाव की सेना पर आ टूटा। किले के अन्दर के और भी कई अफ़सर शत्रु से मिले हुए थे और "सीअरुल मुता- ख़रीन" से पता चलता है कि अनेक अपने स्थान की अभेद्यता और शत्र की अशक्तता पर ज़रूरत से ज्यादा भरोसा करके अपने कर्तव्य से असावधान हो गए थे। ऐसी स्थिति में सेना का कर्त्तव्य विमूढ़ हो जाना स्वाभाविक था। नतीजा यह हुआ कि मीर कासिम के पूरे पन्द्रह हजार सैनिक उस रात की लड़ाई में काम आए। इस अंगरेज विश्वासघातक के काम के बारे में करनल मालेसन लिखता है :- "केवल एक व्यक्ति के इस कार्य ने अंगरेज़ों को ना उम्मेदी को विश्वास में बदल दिया और इस कार्य के नतीजे ने मीर कासिम की सेना के प्रारम- विश्वास को ना उम्मेदो में बदल दिया । अंगरेजी सेना के लिए इस श्रादमी ने इस मौके पर ईश्वर का काम किया।"* "जनरल एडम्स ने मीर कासिम की सेना को केवल विजय ही नहीं किया, बल्कि उसका संहार कर डाला।" मीर कासिम की करीव चार सौ तोपें इस युद्ध में अंगरेजों के हाथ आई। "]i was the art of a single indisidual which converted the despur of the English into confidence , it was the consequence of ther act which changed -ue ronident of Ir Kassim s army into despur The individual on the occasion pertormed the divine function for the English anny ' -Ibad p 157 Tbrd, p 150