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भारत में अंगरेज़ी राज

१६ भारत में अंगरेजी राज मुझस इलाका लिया । असजीयत मे मेरे ही नाश के लिए श्राप फौज रख रहे थे, क्योकि उसी फौज के हाथों से सब कार्य हुए हैं x x x इसके अलावा कई साल से अंगरेज़ गुमाश्तों ने मेरो निजामत के अन्दर जो जो जुल्म और ज्यादतियों की हैं, जो बड़ी बड़ी रकमें लोगों से जबरदस्ती वसूल की है और जो नुकसान किए हैं सुनासिब और इंसाफ यह है कि कम्पनी इस समय उस सबका हरजाना दे । आपको सिर्फ इतनी ही तकलीफ करने की जरूरत है कि जिस तरह से बर्धमान और दूसरे इलाके आपने लिए थे उसी वरह मुझपर इनायत करके आप उन्हें वापस लौटा दीजिए।" निस्सन्देह मजबूर होकर मीर कासिम ने श्रद कड़ाई का निश्चय कर लिया। ७ जुलाई को यह पत्र कलकत्ते पहुँचा। उसी रोज कलकत्ते की अंगरेज कौन्सिल की ओर से मीर कासिम के साथ मीरजाफर के साथ . युद्ध का एलान प्रकाशित हुआ, जिसमें प्रजा को दोबारा साजिश - यह सूचना दी गई कि मीर कासिम की जगह मीर जाफ़र को अब फिर से बंगाल की मसनद पर बैठा दिया गया है। नवाब भीर जाफ़र ही के नाम पर बंगाल सर से सेना जमा को गई और मीर जाफ़र ही के नाम पर प्रजा से अंगरेजी सेना का साथ देने के लिए कहा गया। किन्तु इस बाकायदा एलान से पहले ही पटना विजय हो चुका था और फिर से छिन भी चुका था। यह कहने की आवश्यकता नहीं है कि कलकत्ते के अंगरेज व्यापारियों की कौन्सिल को बंगाल के सूबेदार को मसनद . * Luar's Selections yp 325. 326