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भारत में अंगरेज़ी राज

१८४ भारत में अंगरेजी राज बुला लिया और एलिस को आज्ञा दे दी कि तुम फौरन पटने पर हमला करके नगर पर कब्जा कर लो। २४ जून की रात को अचानक हमला करके एलिस ने पटने पर कब्जा कर लिया। मीर कासिम की बरदाश्त पटने पर अचानक की कोई हद न थी। इतिहास लेखक पेल्फिन्सटन रान के समय लिखता है कि-"उसे गुस्सा आने के बेशुमार कारण थे, फिर भी उसने धैर्य और वरदाश्त से काम लिया। किन्तु अब मजबूर होकर उसे एलिस के विरुद्ध सेना भेजनी पड़ी। मीर कासिम की सेना ने पटने पहुँच कर फिर सं नगर अंगरेज़ों से विजय कर लिया ! इल वार की लड़ाई में कम्पनी के करीब ३०० यूरोपियन और ढाई हज़ार हिन्दोस्तानी सिपाही काम पाए। एलिस और उसके कई यूरोपियन साथी पहिली जुलाई को कैद करके मुंगेर पहुँचा दिए गए। ऐमयाट चुपके से किश्ती में बैठकर कलकत्ते की ओर भाग गया। मीर कासिम ने हे को मुंगेर में रोक लिया। ऐमयाट की ___मालूम होता है मीर कासिम ने अपने आदमियों मृत्यु को हुकुम भेज दिया कि ऐमयाट को भी रोक कर वापस मुंगेर भेज दिया जाए ! कासिमबाज़ार के निकट नवाब के एक कर्मचारी मोहम्मद तकी खाँ ने अपने एक आदमी को भेजकर He conducted unselt under innumerable provocations with tember and forbearance, -~-Rese of the Britishpower in India by Elphastone pp 390, 391