पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज - पहली जिल्द.djvu/४४१

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मीर का़सिम

Aahe मीर कासिम १८३ युद्ध की पूरी तैयारी कर चुके थे। १४ अप्रैल सन् १७६३ ही को अंगरेजों ने अपनी सेना को तैयार हो जाने की आज्ञा दे दी थी। पटने में एलिस नामक एक अंगरेज कम्पनी के एजन्ट की हैसियत से रहता था। एलिस ने वहाँ के नायव नाज़िम को दिक करना और बात वात में उसकी आज्ञाओं का उल्लंघन करना शुरू कर दिया था। मीर कासिम ने अनेक बार वन्सीटॉर्ट से एलिस के व्यवहार की शिकायत की, किन्तु व्यर्थ। अब कलकत्ते से एलिस को लिख दिया गया कि तुम आज्ञा पाते ही पटने पर कब्ज़ा करने के लिए तैयार रहो। कम्पनी की काफी सेना पहले ही पटने पहुंचा दी गई थी। उधर ऐमयाट साहब सुलह के लिए मुंगेर में ठहरे हुए थे और इधर हथियारोम भर ई कई किश्तियाँ एलिस की मदद के लिए कलकत्तं से पटने की ओर जा रही थीं। जब ये किश्तियाँ मुंगेर के पास से निकली, नवाब उन्हें देखकर चौंक गया। उसने किश्तियों को श्रागे बढ़ने से रोक दिया और २ जून सन् १७६३ को वन्सीटॉर्ट को लिखा कि-"कम्पनी की नई माँगे बेजा और पहली सन्धियों के विरुद्ध हैंxxxपटने की अंगरेजी फौज या तो कलकत्ते वापस बुला ली जावे और या मुंगेर में रक्खी जावे, नहीं तो मैं निज़ामत छोड़ दूंगा।" इसके जवाब में ऐमयाट ने मीर कासिम से साफ़ साफ़ कहा कि वजाय वापस बुलाने के पटने में अंगरेजी फौज बढ़ाई जायगी। हथियारों की किश्तियाँ मंगेर में रुकते ही कलकत्ते की कौन्सिल ने, जो केवल एक बहाने के इन्तजार में थी, ऐमयाट और हे को वापस