पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज - पहली जिल्द.djvu/४३९

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मीर का़सिम

मीर कासिम १८१ अपनी स्वाधीनता और प्रजा के सुख इन दोनों का नाश किए बिना और किसी भी कीमत पर अंगरेजो के साथ अमन स रहने को उत्सुक था।"* ___किन्तु मीर कासिम के विरुद्ध साज़िश अभी पूरी तरह पकने न पाई थी, इसलिए उसके अन्तिम पत्र के उत्तर में वन्सीटॉर्ट ने मीर कासिम को लिख दिया--"यह किस्सा कि अंगरेज़ दूसरा नाज़िम खड़ा करना चाहते हैं, चालबाज़ लोगों की मनगढन्त हैxxxi" इसके बाद जद वन्सीटॉर्ट ने मीर कासिम को लिखा कि . ऐमयाट और हे एक नई सन्धि करने के लिए मीर कासिम से मुंगेर भेजे गए है तो मीर कासिम ने उत्तर में ___ नई नई माँगें लिखा कि-"हर साल नई सन्धि करना कायदे के खिलाफ है, क्योंकि इनमानों को सन्धियों की कुछ उमरे होती हैं।" उसने यह भी लिखा कि-"एक ओर आप चारों तरफ फौजें भेज रहे हैं और दूसरी ओर मुझसे बातचीत करने के लिए आदमी भेज रहे हैं।" ऐमयाट और हे का मुंगेर भेजना केवल एक चाल थी। बंगाल के अंदर इस तीसरी वगावत के लिए अंगरेजों की तैयारी जोरों के साथ जारी थी। मीर कासिम को इतने में पता चला कि मेरे विरुद्ध साजिशों का जाल स्वयं मेरी राजधानी के अंदर पूरा फैल चुका है। वही

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