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भारत में अंगरेज़ी राज

१३८ भारत में अंगरेजी राज एक बार मीर जाफर ने अंगरेज़ों को मुकाबला करने की मीर जाफर का धमकी दी। किन्तु तुरन्त ही उसने अपनी बेबसी मसनद से हटाया को महसूस कर लिया और उसका साहस ट्रट जाना गया। उसने अपने तई मीर कासिम के हाथों में सौंपने से इनकार कर दिया। उसी दिन सवेरे मीर जाफर को मसनद से हटाकर कलकत्ते भेज दिया गया और मीर कासिम को उसको जगह सूबेदारी की मसनद पर बैठा दिया गया। मीर जाफर की आयु उस समय ६० साल की और मीर कालिम को करीव ४० साल की थी। २१ अकबर को वन्सीटार्ट और केलो ने इस घटना को विस्तार ले ध्यान करते हुए सिलेक्ट कमेटी के नाम एक पत्र लिखा,जिसका सार करीब करीब उन्हीं के शब्दों में इस तरह है :- ___“१५ अक्तूबर को नवाब मीर जाकर गवरनर बन्सीटार्ट से भेंट करने के लिए कासिमबाज़ार आया । अगले दिन वन्लीटार्ट और केलो नवाब से मिलने मुर्शिदाबाद गए। दोनों दिन मामूली बातचीत होती रही। १८ ता० को अंगरेजों को पुरानी शिकायतों और नई मांगों पर बातचीत करने के लिए नवाब फिर क्कासिमबाज़ार अाया। ये सब शिकायतें और माँगें पहले से नीन पत्रों के अन्दर लिख दी गई थीं। ये पत्र बातचीत के शुरू हो में वन्सीटार्ट ने मीर जाफर को दे दिए। "मीर जाफर पत्रों को पढ़कर बहुत घबरा गया। उसने अपने महल वापस जाकर खाना खाने और सलाह करने के लिए समय चाहा । किन्तु अंगरेजों ने उस पर जोर दिया कि आप यहाँ ही खाना मैंगवाकर हाथ के