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भारत में अंगरेज़ी राज

१३२ भारत में अंगरेजो राज जावे। ईस्ट इंडिया कम्पनी इस उद्देश से नहीं बनी थी। न इंगलि- स्तान के उद्योग धन्धों की उस समय यह हालत थी कि इंगलिस्तान का बना हुश्रा कोई माल हिन्दोस्तान में लाकर बेचने का किसी को स्वप्न में भो गुमान हो सकता। भारत से इंगलिस्तान की तिजारत का अर्थ उस समय केवल यह था कि भारत के उन्नत उद्योग धन्धों और यहाँ की आंतरिक तिजारत में किसी तरह भाग लिया जाये और जिस तरह हो, व्यापार द्वाराया लूट द्वारा, यहाँ से माल और धन लाद कर इंगलिस्तान भेजा जाये। मीर जाफर पर किसी तरह का भी झूठा सच्चा दोष नहीं लगाया जा सका, किन्तु अंगरेज़ कम्पनी के लिए मोर जाफ़र से अपनी धन और धरती की प्यास को बुझाना नई मांगें ज़रूरी था। कम्पनी की ओर से नई माँगें मीर जाफर के सामने पेश की गई। इन मांगों के विषय में इतिहास लेखक मिल लिखता है :- ____ "मीर जाफर की हालत शुरू से ही शोकजनक थी। खजाना सुत चुका था, देश सुत चुका था, बड़े बड़े अनिवार्य खर्च उसके सामने थे और by guying to the f ompari the sule right of such districts, as las most Con- Verment irr our management it is to be supposed, that sucha Proporn moulit meer with all the diticulties that could possibily be throwri in our vr " . There seens porto offer such an opportunity of securing to ourselves all we could nisanthus respect. as likely may never bappen agatn%3B AD oprorturry that wril give us both power and right "Another principal motive, that urges us to thunk of changing our