मीर जाफर १२७ "दरबार में एक दल बड़ा हो गया था जिसके नंता नवाब का बेटा मोरन और राजा राजवल्लभ थे। ये लोग अंगरेजों के जुए को अपने कंधों पर से हटाने के लिए रोज तदबीरें सोचा करते थे और लगातार नयाब पर जोर देते रहते थे कि जब तक यह न हो सकेगा, तब तक नवाब की हुकूमत केवल एक नाम की हुकूमत रहेगी।"* समस्त सेना को पटने लौटा लाया गया और पटने लौट आने तक मीरन की मृत्यु को उसकी सेना से छिपाकर रक्खा गया। बंगाल और वहाँ की प्रजा की हालत इस समय अत्यन्त शोक जनक थी । मुसलमान इतिहास लेखक मौ० बंगाल की बदरुद्दीन अहमद उस समय की हालत को बयान दर्दनाक हालत ____करते हुए लिखता है :- "कम्पनी और उसके ख़ास खास मुलाजिमों से अलग अलग जो बड़े बड़े वादे कर लिए गए थे, उन्हें पूरा करने में नाज़िम (मीर जाफ़र) के द्वजान्ने का एक एक सिक्का दिया जा चुका था। बंगाल दिवालिया हो चुका था और तेजी के साथ अराजकता की ओर बढ़ा चला जा रहा था। शाहज़ादे की चढाई से वहाँ की हालत और भी खराब हो गई थी, उससे नाज़िम की पूरी बेबसी जाहिर हो गई थी और कम्पनी को पता चल गया था कि बाहर के हमलों से अपने इलाके की रक्षा करने के लिए नाज़िम हर तरह हमीं पर निर्भर है।" ___ * " A parts was soor ra.sed at the Durhar, neated br the Yavat's not Miraut and Raja Rajehulal, when were dasiv pl. nnny ek here to chahe off treir dependence on the English, and continuallk urging to the Navab, that ut this was effected his government was a name or: --Fr- Report 1772, Appendingp 225 7 Calendar of Persian Lorrestandence, 101 11: vin
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