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भारत में अंगरेज़ी राज

भारत में अंगरेजी राज जाफर इस मामले में क्लाइन और उसके साथियों के इशारे पर चल रहा था और उन्हीं की संगीनों के बल सब खेल खेल रहा था। सब से पहले इन लोगों ने मुर्शिदाबाद की सूवेदारी के अधीन बड़े बड़े प्रान्तों से हिन्दू नरेशों को हटाकर उनकी जगह मुसलमानों को नियुक्त करने के प्रयत्न शुरू किए । पहला हिन्दू नरेश, जिसे क्लाइव और मीर जाफर ने मिलकर मिटाना चाहा, बिहार प्रान्त का शासक राजा राजा रामनारायन रामनारायन था। रामनारायन अलीवदी खाँ के पर हमला " खास आदमियों में से था और अल्लीवर्दी ख़ाँ ने ही उसे बढ़ाकर इस उच्च पद तक पहुंचाया था। अलीवर्दी खाँ और सिराजुद्दौला दोनों का रामनारायन सदा वफ सिराजुद्दौला के विरुद्ध जो साजिश की गई उसमें वह शामिल न था, किन्तु जब उसने सिराजुद्दौला के मारे जाने और मीर जाफ़र के मसनद पर बैठने की खबर सुन ली तो अपने प्रान्त में भी मीर जाफ़र की सूवेदारी का बाज़ाब्ता एलान करा दिया। राजा रामनारायन पर अब यह इलज़ाम लगाया गया कि तुमने फ्रान्सीसियों को अपने यहाँ पनाह दे रक्खी है और अवध के नवाब वजीर के साथ मिलकर तुम मीर जाफ़र के खिलाफ साजिश कर रहे हो। निस्सन्देह यह सब किस्सा केवल उसे बिहार की गही से हटाने के लिए गढ़ा गया था। ६ जुलाई सन् १७५७ को क्लाइव के हुकुम से मेजर कूट २३० गोरे और करीब ३०० हिन्दोस्तानी सिपाही लेकर मुर्शिदाबाद से