पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज - पहली जिल्द.djvu/३५९

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सिराजुद्दौला

सिराजुद्दौला ___ अंगरेज़ सरदारों और जगत सेठ की साज़िश से सिराजुद्दौला को करल केया गया।" सिराजुद्दौला की हत्या के दो दिन बाद लाइव ने सिलेक्ट कमेटी के नाम एक पत्र में बड़े गर्व के साथ अपने अंगरेज मालिकों को सूचना दी- "महाशयगण, सिराजुद्दौला ख़तम हो चुका। नवाब उसकी जान बख्शना चाहता था, किन्तु नवाब के पुत्र मौरन और 'बड़े लोगों ने देश के अमन के लिए उसे मार डालना ज़रूरी समझा, क्योंकि उसके शहर के पास श्राते ही ज़मींदार लोग बलवा करने लगे थे।" निस्सन्देह इन 'बड़े लोगों में सब से मुख्य क्लाइव था! क्लाइव और उसके साथियों के दुष्कृत्यों पर परदा डालने के लिए अंगरेज़ इतिहास लेखको ने आमतौर पर सिराजुद्दौला का झूठे इलज़ामों और नई नई जालसाज़ियों द्वारा पारन सिराजुद्दौला के चरित्र को कलङ्कित करने का पूरा पूरा प्रयत्न किया है। किन्तु सिराजुद्दौला की सच्चाई, उसकी वीरता, उसके सौजन्य, उसकी योग्यता, उसकी दयानतदारी और उसकी ईमानदारी में किसी तरह का भी सन्देह नहीं हो सकता। वास्तव में उसकी योग्यता के कारण ही इंगलिस्तान के ईसाई 'व्यापारियों ने अपने और अपनी कौम के भावी हित के लिए उसका नाश करना आवश्यक समझा। उसका वह ख़ज़ाना भी जो चाँदी, सोने और जवाहरात से लवरेज़ था, इन विदेशियों के लिए कार्फ लालच की चीज़ थी। उसमें दोष भी थे और वेदोष थे-विदेशियं