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भारत में अंगरेज़ी राज

भारत में अंगरेजी राज ___ "मैं पहले भी जिन्व चुका हूँ और फिर लिखता हूँ कि यदि अंगरेज कम्पनी अपना व्यापार कायम करना चाहती है तो मुझे कोई ऐसी बासन लिखी जावे जो हमारी सन्धि के अनुकूल न हो,xxx अगर श्राप मुझसे लड़ाई करना नहीं चाहते तो मेरी मोहर लगी हुई और मेरी दस्तखती सन्धि श्राम के पास है, जब कभी पत्र लिखना हो तो उसे देख कर उसके अनुसार लिखिएxxx। "यदि आप शान्ति कायम रखना चाहते हैं तो सन्धिपन के विरुद्ध कोई बात न लिखिए ।" किन्तु इस दरमियान वाट्सन, क्लाइव, वाट्स और मीर जाफर के बीच साजिश करीब करीब पक चुकी थी।

  • ४ जून सन् १७५७ ई० को आधी रात के बाद एक

गुप्त सन्धि - जनानी पालकी में बैठ कर चोरी चोरी वाट्स ने मीर जाफ़र के महल में प्रवेश किया। उसी रात को मीर जाफर ने अंगरेजों के साथ एक गुप्त सन्धिपत्र पर दस्तखत कर दिए । इस सन्धिपत्र की १३ शतों का सार इस प्रकार है :- जितने अधिकार सिराजुद्दौला ने अंगरेजों को दे रखे थे, मीर जाफ़र सूबेदार बनने पर उन सबको कायम रक्खे । अंगरेज और मीर जाफर दोनों में से किसी की जब कभी किसी तीसरे के साथ लड़ाई हो तो दूसरा उसकी मदद करे। तमाम फ्रांसीसी और उनकी कोठियाँ अंगरेजों के हवाले कर दी जाये और फ्रांसीसियो को बंगाल में न रहने दिया जाय । कलकत्ते की तबाही के हरजाने

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