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भारत में अंगरेज़ी राज

भारत में अगरेजी राज धमकी चन्दरनगर की विजय अंगरेजों के लिए अत्यन्त उपयोगी सावित हुई । इससे बंगाल के अंदर झांसीसियों का बल टूट गया और नवाव से अंतिम निवटारा करने के लिए अंगरेजों के सामने का मार्ग अधिक साफ हो गया। वाट्सन ने अपने २५ फरवरी के उस पत्र में जिसका ऊपर जिक पा चुका है, सिराजुद्दौला को लिखा था सिराजुद्दाला का कि-"श्राप खातिरजमा रखिए, मैं सदा अपना ' धर्म समझ कर शान्ति कायम रक्खंगा।" इसी पत्र में उसने लिखा था कि यह अफवाह कि अंगरेज झांसीसियों पर हमला करने वाले हैं बिलकुल भूठ है। किन्तु इसके चंद रोज़ बाद ही जब सिराजुद्दौला ने फरवरी की सन्धि के अनुसार वाट्सन से सेना की सहायता मांगी तो उत्तर में वाट्सन ने तैयारी करके और मौका देखकर सिराजुद्दौला को लिखा कि :- "कुछ दिन हुए मैने पिछले महीने की २० तारीख को आपके पत्र का उत्तर दे दिया है। मैं समझता हूँ वह अब तक आपको मिल गया होगा! उसे पढ़कर आपको पूरी तरह विश्वास हो गया होगा कि फ्रांसीसी वकील का यह कहना, कि मेरा इरादा शान्ति भंग करने का है मूठ है xxx। "xxx किन्तु अब साफ कहने का समय आगया है। यदि आप वास्तव में अपने देश में शान्ति बनाए रखना चाहते हैं और अपनी प्रजा को आपत्ति और बरबादी से बचाना चाहते हैं, तो आज से दस दिन के अंदर अपनी ओर से सन्धि की हरेक शर्च को पूरा कर दीजिये, ताकि मुझे शिकायत का जरा भी मौका न मिल सके, नहीं तो याद रहे नतीजों के लिए श्राप