लिराजुद्दौला उसे लिखाने के लिए नवाब के मंत्री को रिशवत दी !* वह यह भी लिखता है कि :- "नवाब जिन पत्रों को अपने हुकुम से लिखवाता था उन्हें कभी पढ़ता न था, इसके अलावा मुसलमान ( शासक) कभी अपने हाथ से दस्तखत नहीं करते । जब लिलाना बंद करके अच्छी तरह कस दिया जाता है तब मंत्री नवाब से उसकी मोहर माँगता है और नवाब के सामने लिफ़ाने पर मोहर लगाता है, कभी कभी एक नकली मोहर भी होनी है।" इन सब कामों में मुर्शिदाबाद के दो जैन जगतसेठों का प्रभाव और अमीचंद का धन, इन दोनों से अंगरेजों को काफी मदद मिल रही थी। ३ मार्च को क्लाइव ने सिराजुद्दौला को सहायता पहुँचाने के बहाने अपनी सेना की बाग सँभाली।७ मार्च को उसने सिराजुद्दौला को लिख भेजा कि मैं सहायता अंगरेजों का के लिए आता हूँ। अंगरेजो की तैयारी पूरी थी। इस बीच बम्बई से भी कुछ सेना क्लाइव की सहा- यता के लिए पहुंच चुकी थी। क्लाइव चन्दरनगर की ओर बढ़ा, उसे इस तरह सेना सहित अपनी ओर बढ़ते हुए देखकर फ्रांसीसियों ने इसकी वजह पूछी ! छली लाइव ने मार्च को झांसीसियों को पत्र द्वारा विश्वास दिलाया कि-"आपकी कौम से लड़ने का मेरा इस समय बिलकुल इरादा नहीं है।” १० मार्च को सिराजुद्दौला चन्दरनगर पर awar-uitable " The Secretarv to the TheESot.Ir tatty - + bd shast her hibittu urite Jean Law, thusnfenders
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सिराजुद्दौला