पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज - पहली जिल्द.djvu/३२७

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सिराजुद्दौला

सिराजुद्दौला कलकत्ते के नीचे नदी से एक मील के अंदर नवाव कभी किसी तरह की किलेबंदी न करे । इत्यादि, इत्यादि । अंगरेज खूब जानते थे कि सिराजुद्दौला इस तरह की नई शत, जिनका साफ मतलब उससे शासन अधिकार छीनना था. स्वीकार म कर सकता था। असली मतलब सिद्ध करने के लिए सुप्रसिद्ध अमीचंद अपनी थैलियों सहित वाट्स का सलाहकार नियुक्त होकर उसके साथ मुर्शिदाबाद भेजा गया। वाट्स अपने “मैमॉयर्स श्राफ दी रेवोल्युशन" में स्वीकार करता है कि अपनी साजिशों को सफल बनाने के लिए उसने मुर्शिदाबाद के दरबार में रिशवतों का बाज़ार खूब गरम कर रखा था। दूसरी ओर अलीनगर की सन्धि के विरुद्ध और उसकी खाक सिराजुद्दौला और परवा न करते हुए अंगरेजों ने फौरन सबसे वाटसन में पत्र- पहले फ्रांसीसियों की चन्दरनगर वाली कोठी व्यवहार पर हमला करने की ठानी। सिराजुद्दौला अभी कलकत्ते से लौटकर अपनी राजधानी तक पहुँचा भी न था कि मार्ग ही में उसे अंगरेजों के इस इरादे का समाचार मिला । उसने तुरन्त १६ फरवरी को ऐडमिरल वाट्सन के नाम इस मजमून का एक पत्र लिखा:- __ "अपने देश और अपने राज के अंदर लड़ाइयाँ अंद करने के उद्देश से मैंने अंगरेज़ों के साथ सुलह मंजूर की थी, ताकि तिजारत पहले की तरह जारी रह सके x x x इसो सरह तुम ने भी अपने दस्तखत से और अपनी मोहर लगाकर इस मजमून का इकरारनामा मेरे पास भेज दिया है कि तुम मेरे देश