भारत में अंगरेजी राज ___ जो दो अंगरेज वकील लाइव ने इस अवसर पर नवाब के पास भेजे और जो वास्तव में जासूसों का काम कर रहे थे, उनके नाम वाल्श और स्कैफ़टन थे । एक और हिन्दोस्तानी देशद्रोही राजा नवकृष्ण इस समय सिराजुद्दौला के दल में अंगरेजों के जासूस का काम कर रहा था और उन्हें पल पल पर नवाब की सब काररवाइयों की खबर देता रहता था। नवाद के खेमे के पास ही अंगरेज वकीलों के खेमे डाल दिए गए । पहले से जो हिदायते उन्हें दे दी गई थीं उनके अनुसार ४ तारीख की रात को ये दोनों दृत सिराजुद्दौला से बातचीत करके अपने खेमे में आगए, इसके बाद सोने के बहाने उन्होंने खेमों की रोशनी बुझा दी और फिर अँधेरे में वहाँ से निकल कर ये लोग अंगरेजों की ओर भाग श्राए । इसके बाद की घटना के विषय में जीन लॉ लिखता है:- ___अगले दिन ५ फरवरी को सुबह ४ या ५ बजे गहरे कोहरे में करनल क्लाइव ने अपनी सेना सहित नवाब के दल पर हमला किया और ये जोग ठीक उस नेमे पर आकर गिरे जिसमें पहले दिन शाम को अंगरेज वकील नवाब से मुलाकात कर चुके थे। x x x सौभाग्य से नवाब उस समय उस खेमे में मौजूद न था । उसके एक दीवान को अंगरेज वालों पर पहले ही कुछ संदेह हो चुका था और उसने नवाब को सलाह दी थी कि श्राप जरा दूर एक दूसरे खेमे में रात गुजारें।" सिराजुद्दौला को, ऐले समय में जब कि सुलह की बातचीत जारी थी, इस विश्वासघात की कोई श्राशान थी। जो लड़ाई इस
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भारत में अंगरेज़ी राज