सिराजुहोला कलकत्ते से कुछ नीचे बजबज मे एक अत्यंत मजबूत पुराना किला था, जिसके चारों ओर एक गहरी खाई " थी। यह किला राजा मानिकचंद के सुपुर्द था। वटी लड़ाई २६ दिसम्बर को क्लाइव के अधीन थोड़ी सी. अंगरेजी सेना जहाज से उतर कर बजबज पहुँची । अंगरेजों और मानिकचंद के वीच पहले से तय हो चुका था कि मानिकचंद केवल, दिखाने के लिए एक बार अंगरेज़ो का मुकाबला करे। सुनाँचे मानिकचंद दो हजार सैनिक लेकर लाइव के २६० सैनिकों का मुकाबला करने के लिए किले से बाहर निकला। केवल आध घंटे की झूठी फटफट के बाद मानिकचंद ने किले के दरवाजे खोल दिए और बिना किसी रुकावट के २६ दिसम्बर की रात को अंगरेजी सेना ने बजबज के जवरदस्त किले में प्रवेश किया। मानिकचंद अपनी सेना लिए पीछे की ओर हटता चला गया। मानिकचंद कायर न था। छै साल बाद कम्पनी ने राजा मानिकचंद के एक बेटे को अपने यहाँ ननख्वाह देकर नौकर रखा, जिसकी वजह सरकारी कागजात में इन साफ शब्दों में दी हुई है-"क्योंकि पिछले ३० साल के अंदर मानिकचंद कई तरह से हमारे लिए उपयोगी साबित हो चुका था।"* ___बजवज के किले के अंदर जितने मामूली गैर फ़ौजी हिन्दुस्तानी थे, उनमें से कुछ भाग निकले और जो रहे उनको अंगरेजों ने कल कर दिया? Rey Lorgs Selections from the Government Records
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सिराजुद्दौला