भारत में अंगरेजी राज भी किलेबंदी कर ली और कलकत्ते के किले के चारों तरफ एक बड़ी खंदक खोद डाली। (२) दिल्ली के सम्राट ने इन परदेशियों पर दया करके बंगाल के अंदर उनके माल पर हर तरह की चुंगो माफ़ कर दी थी। ___ कम्पनी के दस्तखती पास से जिसे 'दस्तक' कहते थे, कम्पनी का माल प्रान्त में जहाँ चाहे विना महसूल श्रा जा सकता था। अब इन लोगों ने इस अधिकार का दुरुपयोग शुरू किया और अनेक हिन्दोस्तानी व्यापारियों से रुपए लेकर उनके हाथ अपने दस्तक बेचने शुरू कर दिए, जिससे राज की आमदनी को जबरदस्त धक्का पहुँचा । इसके अलावा जिस सम्राट ने इन विदेशियों के माल पर महसूल माफ कर दिया था, उसी की देशी प्रजा का माल जब इन विदेशियों की कोठियों में या उनकी बस्तियों में जाता था, तो कम्पनी ने उस पर जबरदस्त चुंगी वसूल करना शुरू कर दिया जिसका कानूनन उन्हें कोई अधिकार न था। (३) नवाब के जो मुलाज़िम या दरबारी किसी तरह का जुर्म करते थे, या नवाब के खिलाफ बगावत करते थे, उन्हें अंगरेज़ कलकत्ते में बुलाकर अपनो कोठी में आश्रय देने लगे। इन सब बातों की शिकायतें सिराजुद्दौला के कानों तक लगातार और बाज़ाब्ता पहुँचती रहीं, फिर भी वह वरदाश्त करता रहा। इतने में सिराजुद्दौला को मालूम हुअा कि अंगरेज़ पूनिया के नवाब शौकतजंग को सिराजुद्दौला से लड़ाकर उसे मुर्शिदाबाद की मसनद पर बैठाने की तजवीज़े कर रहे हैं । शौकतजंग सिराजुद्दौला
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भारत में अंगरेज़ी राज