पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज - पहली जिल्द.djvu/२८९

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सिराजुद्दौला

३७ सिराजुद्दौला और करमंडल तट पर किस तरह के कुचकों द्वारा ठीक उसी समय अंगरेज़ और फ्रांसीसी दोनों अपने पैर फैलाते जा रहे थे । नवाब ने अपना सन्देह दूर करने के लिए करनल स्कॉट को अपने दरवार में बुलाया। करनल स्कॉट ने आने का वादा किया और फिर टालकर मद्रास की ओर चला गया। नवाब ने अंगरेजों और फ्रांसीसियों दोनों को हुकुम दिया कि आप लोग फौरन किलेबंदियाँ करना बंद कर दें। उसने अंगरेज और फ्रांसीसी कम्पनियों के वकीलों को दरवार में बुलाकर उनसे कहा - "तुम लोग सौदागर हो, तुम्हें किलों को क्या ज़रूरत ? जब तुम मेरी हिफ़ाज़त में हो तो तुम्हें किसी दुश्मन का डर नहीं हो सकता।" वहुत सम्भव है, अलीवर्दी खाँ इस विषय में अपनी इच्छा पूरी कर पाता, किन्तु वह इस समय बूढ़ा था। उसकी सिराजुद्दौला को उन्द्र ने अधिक बफान की । अंत समय निकट अलीवर्दी खों की आखरी नसीहत आने पर एक दूरदर्शी नीतिज्ञ के समान उसने अपने नवासे और उत्तराधिकारी सिराजुद्दौला को पास बुलाकर इस प्रकार नसीहत की- "मुल्क के अंदर यूरोपियन क़ौमों को ताकत पर नजर रखना । यदि खुदा मेरी उम्र बढ़ा देता तो मैं तुम्हें इस डर से भी आज़ाद कर देता~-अब मेरे बेटा, यह काम तुम्हें करना होगा । तैलंग देश में उनकी लड़ाइयों और उनकी कूटनीति की ओर से तुम्हें होशियार रहना चाहिये ! अपने अपने बाद- शाहों के बीच के घरेलू झगड़ों के बहाने इन लोगों ने शहनशाह ( मुग़ल सम्राट) का मुल्क और शहनशाह की रिआया का धन माल छीन कर आपस