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भारत में अंगरेज़ी राज

भारत में अगरजी राज मालामाल था। सम्भव है, एक तीसरा सबब यह भी रहा हो कि बंगाल के लोग ज़्यादा भोले थे और ज्यादा आसानी से विदेशियों की चालो में पा सके। सब से पहले सन् १७६४ ई० में एक अंगरेज़ करनल मिल ने जर्मनी के साथ मिलकर बंगाल, विहार और उड़ीसा विजय करने और उन्हें लूटने की एक योजना तैयार करके यूरोप भेजी, जिसमें उसने लिखा - ____ "मुग़ल साम्राज्य सोने और चाँदी से लबालब भरा हुआ है। यह साम्राज्य सदा से निर्बल और अरक्षित रहा है। बड़े आश्चर्य की बात है कि अाज तक यूरोप के किसी बादशाह ने, जिसके पास जल सेना हो, बंगाल फतह करने की कोशिश नहीं की। एक ही हमले में अनन्त धन प्राप्त किया जा सकता है जितना कि ब्रेजील और पेरू ( दक्खिन अमरीका ) की सोने की खानों से भी न मिल सके। "मुग़लों को राजनीति नहीं आती। उनको सेना और अधिक खराध है। जल सेना उनके पास है ही नहीं । साम्राज्य के अन्दर लगातार विद्रोह होते रहते हैं। यहाँ की नदियाँ और यहाँ के बंदरगाह दोनों विदेशियों के लिए खुले हुए हैं। यह देश इतनी भासानी से फतह किया जा सकता है, या बाजगुजार बनाया जा सकता है, जितनी आसानी से कि स्पेन वालों ने अमरीका के नंगे बाशिंदों को अपने अधीन कर लिया । "x x x अलौचर्दी खाँ के पास तीन करोड पाउण्ड (करीब ३ करोड़ रुपये ) का खजाना मौजूद है। उसकी सालाना आमदनी कम से कर बीस लाख पाउण्ड होगी। उसके प्रान्त समुद्र की ओर से खुले हैं। तीर