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भारत में यूरोपियन जातियों का प्रवेश

भारत में यूरोपियन जातियो का प्रवेश के राज में था। दिल्ली सम्राट का एक सूबेदार दक्खिन में रहता था। करनाटक का नवाव और कई अन्य राजा व नवाब, इस सूबेदार के मातहत थे। पुद्दुचरी के फ्रांसीसी मुखिया दूमास ने करनाटक के नवाव दोस्तअली खाँ को खब खुश कर रक्खा था। यह समय १४ वीं सदी के शुरू का समय था, जव कि औरंगजेब की मृत्यु के बाद मुगल साम्राज्य का बल घटना शुरू हो गया था। __ इस बीच मराठी ने करनाटक पर हमला किया। दूमास ने मौका पाकर नवाद को सहायता देने का वादा किया। नबाव से इजाजत लेकर उसने पुद्दुचरी में किलेबंदी कर ली और १२०० यूरोपियन तथा ५००० हिन्दोस्तानियों की सेना उसमें जमा करली । यूरोप निवासियों के हाथों में यह पहली हिन्दोस्तानी सेना थी। दूमास की सहायता काम कर गई । मराठों का करनाटक विजय करने का प्रयत्न निष्फल गया । करनाटक का नवाब और दिल्ली का सन्नाट दोनों दूमास से खुश हो गए। सम्राट ने प्रसन्न होकर दूमास को 'जवाब' की उपाधि प्रदान की और मुगल साम्राज्य के अधीन उसे दो हजार सवारों का सेनापति नियुक्त कर दिया । पुदुचरी के इलाके पर अब फ्रांसीसियों का पूरा कब्जा हो गया। ____ सन् १७४१ में दूमास की जगह दूप्ले फ्रांसीसी कंपनी की ओर से पुद्दुचरी का हाकिम नियुक्त हुआ। दूप्ले एक अत्यंत योग्य और चतुर सेनापति था, उसके पूर्वाधिकारी दूमास को दिल्ली से नवाब का खिताब मिल चुका था। दूप्ले ने खुद अपने तई 'नवाब दृप्ले' कहना शुरू कर दिया। दूप्ले पहला यूरोपनिवासी था जिसके मन