भारत में अंगरेजी राज भारतवासियों के साथ इनका व्यवहार हद्द दर्जे की ज्यादती और बेईमानी का था। सूरत की कोठी के अंगरेजों की बाबत एक विद्वान् अंगरेज पादरी फिलिप एण्डरसन लिखता है:- ___ज्यों ज्यों इन साहसिक भागन्तुकों की तादाद बढती गई, उनसे अंगरेज कौम की नेकनामी नहीं बढ़ी। इनमें से बहुत ज्यादा लोग ज़बरदस्तियाँ और बेईमानियाँ करते थे xxx हिन्दू और मुसलमान दोनों अंगरेजों को गाय खाने वाले और आग पीने वाले नीच दरिन्दे समझते थे और कहते थे कि ये लोग उन बड़े बड़े कुत्तों से भी ज्यादा जंगली हैं जिन्हें ये अपने साथ लाते है। ये शैतान की तरह लडते हैं और अपने बाप को भी दगा दे लेते हैं और दूसरों से अपना काम निकालने या उनकी चीज़ ले लेने में गोलियों की ौछार या भालों की मार और माल की गठरी या रुपयों की थैली चारों में से किसी का भी उपयोग करने के लिये हरदम तयार रहते हैं।" अंगरेजों के इस व्यवहार को देख कर भारतवासियों का खयाल ईसाई धर्म के विषय में भी उन दिनों बहुत खराब हो गया था। वही विद्वान आगे चल कर लिखता है :- "किन्तु टेरी साहब का बयान है कि भारतवासी ईसाई धर्म को बहुत
- " As the number of adventurers increased the reputation of the English
was not .mproved. Too many committed deeds of violence and dishonestv. , . . Hindus and fasaimans considered the English a srt of cow-eaters and fire-drinkers, Vile brutes, fiercer than the mastiffs wluch they brought with tmem, who would fight like Ebhs, cheat their own fathers, and exchange with the same readiness a broadside of shot and thrusts of boarding pikes, or a balt of goods and a bag of rupees. '---The English in Western India, By Rev Pushp Anderson, p 22