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भारत में अंगरेज़ी राज

भारत में अंगरेजी राज की है ! उस समय के इङ्गलिस्तान के बादशाह जेम्स अव्वल के राज और भारत के भुगत साम्राज्य की क्षेत्रफल, आबादी, धन,वैभव, तिजारत, कला कौशल, दस्तकारी, खुशहाली, शासन-प्रवन्ध, विद्या, बल-किसीवात में भी किसी प्रकार की तुलना नहीं की जा सकती। जहाँगीर के दरवार में उस समय किसी को इस बात का गुमान भी न हो सकता था कि दूरवर्ती पच्छिम की एक छोटी सी निर्वल, असभ्य या अर्द्धसभ्य जाति का जो दूत उस समय दरबार में दोजानू होकर जमीन चूम रहा था उसी के वंशज एक रोज़ मुगल साम्राज्य के अङ्ग अङ्ग हो जाने पर हिन्दोस्तान के ऊपर शासन करने लगेंगे। जहाँगीर न हॉकिन्स की खूब ख़ातिर की। किन्तु पुर्तगाली पहले से दरबार में मौजूद थे, उन्होंने जहाँगीरसे अंगरेजों की खूब बुराइयाँ की । सन् १६१२ ईसवी में अंगरेजों ने सूरत के पास कुछ पुर्तगाली जहाजों पर हमला करके उन्हें गिरफ्तार कर लिया। उसी समय से सूरत में पुर्तगालियों का प्रभाव घटने और अंगरेजों का प्रभाव बढ़ने लगा। ६ फ़रवरी सन् १६१३ को जहाँगीर ने एक शाही फरमान के के जरिये अंगरेजों को अपनी तिजारत के लिये सूरत जहाँगीर और ___में एक कोठी बनाने की इजाजत दे दी और यह भी इजाजत दे दी कि मुगल दरबार में इङ्गलिस्तान का एक पलची रहा करे। इङ्गलिस्तान के बादशाह ने सर टॉमस रो को मुगल दरबार में अपना पहला एलची नियुक्त करके भेजा । सर टॉमस रोसन् १६१५ __ अंगरेज