पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज - पहली जिल्द.djvu/२६५

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भारत में यूरोपियन जातियों का प्रवेश

भारत में यूरोपियन जातियों का प्रवेश १३ श्रोर मलका के नाम अपनी दरख्वास्त में लिख दिया था कि-"हमें अपना व्यापार अपने ही जैसे आदमियों द्वारा चलाने की इजाजत होनी चाहिये, क्योंकि यदि लोगों को इस बात का संदेह भी हो गया कि हम शरीफ़ आदमियों को अपने यहाँ नौकर रक्खेंगे, तो मुमकिन है हमारे बहुत से साहसिक पत्तीदार अपनी पत्तियाँ वापस ले ले *" यही भारत के अंदर इस अंगरेज़ कम्पनो के ढाई सौ साल के कारनामों और उसकी समस्त नीति की कुंजी है। इन ढाई सौ साल के अंदर कम्पनी के मेम्बरो, मुलाजिमो श्रादि में बिरले ही ऐसे हुए होंगे, जिन्हें 'शरीफ' कहा जा सके। ___ नकशे मिलने के तीस साल बाद यानी सन् १६०८ ईसवी में ___पहला अंगरेजी जहाज़ हिन्दोस्तान पहुँचा । इस भारत में पहला जहाज का नाम हेक्टर' था। 'हेक्टर' प्राचीन अंगरेज़ यूनान के एक वीर योद्धा का नाम था। अंगरेज़ी में हेक्टर शब्द का अर्थ 'हेकड़ीबाज़' या 'झगड़ालू है। यह जहाज़ सूरत के बन्दरगाह में आकर लगा। सूरत उस समय भारतीय व्यापार का एक विशेष केन्द्र था। जहाज़ का कप्तान हॉकिन्स पहला अंगरेज था जिसने समुद्र के रास्ते आकर भारत की भूमि पर कदम रखा। इङ्गलिस्तान के बादशाह जेम्स अञ्चल की ओर से दिल्ली के मुगल सम्राट के नाम हॉकिन्स अपने साथ एक पन लाया, जो उसने आगरे पहुँच कर सम्राट जहाँगीर के सामने पेश किया। यह बात केवल तीन सौ साल पहले

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