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पुस्तक प्रवेश

पुस्तक प्रवेश की आबादी उस समय "इतनी अधिक थो की जिस पर विश्वास करना कठिन है ।" विजयनगर के हिन्दू राजाओं के पास बीस लाख फ़ौज तैयार रहती थी। इतनी ही नी आबादी दखन, गुजरात, पक्षाब और बाकी उत्तर भारत की बताई जाती है । थापरे शहर से लिखा है कि किसी भी समय दो लाख सशस्त्र योधा जमा किए जा सकते थे । बङ्गाल की राजधानी गोड़ के मकानों की संख्या बारह लाख थी, जिसका अर्थ यह है कि उस समय के गौड़ की आबादी इस समय के लन्दन की आबादी से बहुत कम न थी । सूरत में लाहौर तक, लाहौर मे प्रागरे तक और आगरे से गौड़ तक जिन घने बसे हुए ग्रामों और नगरों से होकर यूरोपियन यात्रियों को जाना पड़ता था उन्हें देख कर वे चकित रह जाते थे । निस्सन्देह आबादी और खुशहाली दोनों के लिहाज से मुग़ल समय का भारन, केवल एक चीन को बोड़ कर, संसार के अन्य समस्त देशों से कहीं अधिक बढ़ा चढ़ा था। देशी भाषाओं की उन्नति मुगलों और उन दूसरे मुसलमानों के ऊपर भी जो बाहर ले श्राकर भारत में बस भारतीय जीवन, भारतीय रहन सहन, और भारतीय विचारों की छाप लगे बोर न रह सकी । यहाँ तक कि भारत के मुसलमान दूसरे देशों के मुसलमानों से अलग बिल्कुल भारतीय मुसलमान बन गए । भारत वासियों से मुग़लों ने पान खाना सीखा । हिन्दोस्तानी भाषा को जिसे वे पहले ज़बानेहिन्दवी कहते थे, उन्होंने अपनी भाषा बनाया । बाबर और उसके साथी आरम्भ में ईरानी जबान बोलते थे। थोड़े ही दिनों में उन्होंने अपने घरों में, दफ्तरों में और दरबारों में हिन्दोस्तानी बोलनी शुरू की,