पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज - पहली जिल्द.djvu/१९८

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पुस्तक प्रवेश

पुस्तक प्रदेश ___ सम्राट जहाँगीर ने तख्त पर बैठने ही सब से पहले जो याज्ञाएँ जारी की उनमें से एक यह थी कि साम्राज्य भर मे सड़कों और सड़कों के ऊपर सरकारी कुओं, सरायों आदि की मरम्मत की जाय और यात्रियों की हिफाज़त का पूरा प्रबन्ध किया जाय, और दूसरी यह थी कि कोई भी राजकर्मचारी या जमींदार किसी वजह से भी किसी किसान को जमीन से उसकी इच्छा के खिलाफ उसे बेदखल न करे, तीसरी यह थी कि किसी व्यापारी का साल चुझी इत्यादि के लिए चौकियों और सड़कों पर खोल कर न देखा जाय । जहाँगीर ने सानाज्य भर में अनेक मुसाफिरखाने, मदरसे और अस्पताल, तालाब, कुएँ और पुल बनवाए, तमाम बड़े बड़े नगरों में राज के खर्च पर हकीम और वैद्य नियुक्त किए, शराब और तम्बाकू का बनना और पिया जाना कानूनन् बन्द किया । संसार के किसी भी देश में उस समय राज की ओर से प्रजा की शिक्षा का बाज़ाब्ता इन्तज़ाम न था। मुग़ल सन्नाटों ने इस कमी को पूरा करने के लिए साम्राज्य भर में हजारों विद्वान पण्डितों और मौलवियों को पाठशालाएँ और मकतब जारी रखने के लिए माफ़ियाँ और वज़ीने अता किए ।। अनेक अंगरेज़ यात्री स्वीकार करने है कि मुगल सम्राटो के उदार प्रोत्साहन के प्रताप सं उस समय के भारत में शिक्षितों की संख्या आबादी के हिसाब से संसार भर में सब से अधिक थी। उद्योग धन्धों मे भारत उस समय न केवल अपनी समस्त श्रावश्य- कताओं को ही पूरा करता था, बल्कि शेष अधिकांश संसार की मण्डियों m Indra at the Treath aahvar, by Moreland, P 46 and 129

  • story of Jehangey, by Beniprasad. II A , D Sc, Ph D., IPP. 92-94