पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज - पहली जिल्द.djvu/१९७

यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।
१६३
मुगलो का समय

मुशलों का समय १६३ पास, औरङ्गजेब के दस्तख्नती परवाने मौजूद हैं जिनमें उन मन्दिरों को राज की ओर से जागीरें दी गई हैं। ___अमन और खुशहाली के लिहाज मे मुग़ल साम्राज्य का समय भारत के इतिहास में निस्सन्देह स्वर्ण युग था । असंख्य यूरोपियन और एशियाई यात्रियों की गवाहियाँ और उस समय के ऐतिहासिक उल्लेख इस विषय में नकल किए जा सकते हैं । धन धान्य, और सुख सम्पत्ति की जो रेल पेल भारत के अन्दर सम्राट शाहजहाँ के शासनकाल में देखने में आती थी वह संसार के इतिहास में शायद ही कभी किसी दूसरे देश को नसीब हुई हो। इतिहास लेखक मोरलैण्ड लिखता है कि विदेशी व्यापारी और यात्री उन दिनों इस बात को देख कर चकित रह जाते थे कि भारत के नगरों में लोगों के माल की रक्षा का कितना सुन्दर प्रबन्ध था। अनेक यानी इस बात की गवाही देते हैं कि अन्बल तो चोरियाँ होती ही बहुत कम थीं, और यदि किसी नगर में चोरी हो जाती थी और माल बरामद न हो पाता था तो नगर के कोतवाल को अपने पास से माल की कीमत भर देनी पड़ती थी 8 हुमायूँ के दो शासनकालों के बीच के कुछ साल तक दिल्ली में शेरशाह का शासन रहा । किन्तु फ्रेडरिक भागस्टस लिखता है कि "शेरशाह का चन्दरोजा शासन भी हिन्दोस्तान की उन्नति के लिए अहितकर साबित न हुआ, सड़कों के ऊपर आने जाने, माल के लाने ले जाने और व्यापारियों की रक्षा का उसने इतना सुन्दर प्रबन्ध कर दिया कि जितना पहले न था।"

  • India at the Death of Akbar, by Moreiaad, pp 38, 39

+ The Emperor Akbar, ett, by Frederick Augustus, p 277.