पुस्तक प्रदेश कर रहे थे, बेड़ियाँ कस रहे थे और दूसरी सम्प्रदाय के ईसाइयों को दण्ड देने के लिए ऐक्टस ऑफ यूनिफार्मिटी' पास कर रहे थे, जिनकी उँगलियों से कवेनेण्टर सम्प्रदाय के लोगों का स्तून, कैथलिक लोगों का खून और प्यूरिटन लोगों का खून लगातार टपक रहा था, यदि उन्हीं को बुला कर उनकी गवाही ली जाय, तो वे क्या मुँह दिखला सकेंगे ?" इस पुस्तक में कई स्थान पर यह दिखलाया गया है कि मुसलमानों और खास कर मुग़लों के शासनकाल में राज की ऊँची से ऊँची पदवियाँ हिन्दुओं को मिली हुई थीं। हर सम्राट की ओर से बेशुमार हिन्दू मन्दिरों को जागीरें और माफ़ियाँ दो गई । औरङ्गजेब मुतास्सिब और अनुदार था, फिर भी औरङ्गजेब के दरबार में भी हिन्दू मन्त्री और उसकी सेना में हिन्दू सेनापति मौजूद थे। औरङ्गजेब की मृत्यु को आज दो सौ साल से ऊपर हो चुके, किन्तु अभी तक अनेक हिन्दू मन्दिरी के पास, मिसाल के तौर पर इलाहाबाद के पास अरैल में सोमेश्वरनाथ के मन्दिर के हिन्दू पुजारियों के ____ * "During the reigns of the earlier Emperors of Delhi, to the middle of the seventeenth century, complete tolerance was shown to all religions. Shall they who barid the tombs of those who at that very time, were busily employed in making Furope one mighty charnel-house of persecution, and in colonising America with fugitives for conscience' sake, rise up in judgment against India, or load the breath of history with the insolent pretence of Having then enjoyed a truer civilization | What if thev were taken at ther word, and called forth with the Covenanters' blood, and the Catholics blood, and the Purntan's blood dripping quick from the orthodox hands that all that time were building scaffolds, riveting chains, and penning penal 'Acts of Unitormity'"-Empire in Asra, How We Can by : A book of Confessions by W.M Torrens, M. P., Panini Office reprint, pp 96,97.
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