पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज - पहली जिल्द.djvu/१९०

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पुस्तक प्रवेश

३५६ पुस्तक प्रवेश इन पञ्चायतों को मामूली पुलिस के काम में मदद देने के लिए हर जिले में एक फौजदार होता था, जिसका काम केवल बडी बड़ी इकैनियों, उपदों आदि में पञ्चायतों की मदद करना होता था। न्यायशासन में पञ्चायतों को सहायता देने और उनके काम को पूरा करने के लिए हर इलाके मे फौजदारी के मुकदमों को तै करने के लिए एक 'काजो' और दीवानी के मुकदमों के लिए एक 'मद्र' होता था । साम्राज्य भर के काजियों का अल- सर एक 'काजिउलकुज्जान' होता था. जो राजधानी में रहता था। इसी तरह तमाम सदों के ऊपर एक 'सगुस्सुदूर' होता था । हर नए काज़ी की नियुक्ति के समय राज की ओर से उसे नीचे लिखी हिदायत की जाती थी- "मदा इन्साफ़ करना, ईमानदार रहना और किसी की रू रिसायन न करना । मुकदमे या तो अदालत की जगह और या सरकारी दफ्तर में हमेशा दोनों फरीक की मौजूदगी में करना । "जिस जगह तुम्हारी नियुक्ति हो वहाँ के किसी आदमी से किसी तरह का उपहार स्वीकार न करना, और न किसी के जलमे इत्यादि में जाना। "अपने फैसले, दस्तावेज़ इत्यादि बडी सावधानी से लिखना ताकि कोई विद्वान उनमें नुक्स निकाल कर तुम्हें शारमिन्दा न करे। "गरीबी (फ़क) को ही अपने लिए गौरव (फ़स) जानना।"* केवल सुचरित्र और विद्वान लोगों को ही काज़ी और सर की पदवियों

  • Mirghadtir ansst ason. by Jadunath Serkar, P 37.