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पुस्तक प्रवेश

पुस्तक प्रवेश का समय था। भारत को उस समय एक ऐसी प्रधान शक्ति की ज़बरदस्त आवश्यकता थी जो सारे देश के ऊपर एक समान हुकूमत कायम कर सके, देश की बिखरी हुई शक्तियों को एक सूत्र में बाँध सके, और देश व्यापी शान्ति और सुशासन द्वारा जीवन के विविध क्षेत्रों में देश को अग्रसर होने का मौका दे सके । इतिहास इस बात का साक्षी है कि ईसा की सोलवी सदी से लेकर अठारवीं सदी तक दिल्ली के मुगल साम्राज्य ने भारत की इस कमी को खासी सुन्दरता के साथ पूरा किया । निस्सन्देह राजनीति, सामाजिक व्यवस्था, उद्योग धन्धे, कला कौशल, समृद्धि, शिक्षा और सुशासन की दृष्टि से भारत के समस्त इतिहास में मुग़ल साम्राज्य का समय सबसे अधिक गौरवान्वित समय था । मुग़लों द्वारा उसका निर्माण मुगलों के समय से पहले प्रियदर्शी सम्राट अशोक और सम्राट समुन्द्रगुप्त के साम्राज्य भारत में सबसे अधिक विशाल साम्राज्य रह चुके थे। किन्तु प्रोफ़ेसर जदुनाथ सरकार लिखता है कि मुग़ल साम्राज्य अपनी पराकाष्टा के समय अशोक और समुद्रगुप्त दोनों के साम्राज्यों से कहीं बडा था। इसके अलावा अशोक या समुद्रगुप्त के दिनों में साम्राज्य के अन्दर विविध प्रान्तों का जीवन एक दूसरे से इतना अच्छा गुथा हुअा न था । सबकी अलग अलग भाषाएँ, अलग अलग शासन पद्धति और अलग अलग जीवन । किन्तु जदुनाथ सरकार लिखता है- "इसके विपरीत, अकबर के सिंहासन पर बैठने के समय से मोहम्मदशाह की मृत्यु के समय तक (१५५६----१७४६), मुग़ल शासन के इन दो सौ साल ने समस्त उत्तरी भारत और अधि-