पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज - पहली जिल्द.djvu/१७५

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मुगलो का समय

A मुग़लो का समय खॉ और उसके साथ के दूसरे मुग़लों ने पराजित ईरानियों और अरवों से इसलाम मत की दीक्षा ली। भारत पर मुग़लों का सब से पहला हमला सन् १३१८ ईसवी में तैमूर का हमला था । महमूद तुग़लक उस समय दिल्ली के तख्त पर था । किन्तु सिवाय चन्द रोज़ की लूट खसोट और संहार के जिसमें हिन्दू और मुसलमानों का कोई फ़रक नहीं किया गया और कोई असर तैमूर के हमले का भारत पर न रह सका और न नैमूर १५ दिन से ज्यादा दिल्ली में ठहर सका । मुग़लों का दूसरा हमला इस देश के ऊपर सन् १५२६ ईसवी में बाबर का हमला था। उस समय तक मुग़ल अपनी जन्मभूमि मङ्गोलिया से कहीं अधिक सभ्य देश ईरान में बरसों रह चुकने के सबब से चङ्गेज़ और तैमूर के मुकाबले में कहीं अधिक सभ्य और सभ्यताप्रेमी बन चुके थे । पानीपत के मैदान में बाबर ने इब्राहीम लोधी को शिकस्त दी और भारत में मुग़ल साम्राज्य की नीव रखी। पानीपत की विजय के बाद ही बाबर ने भारत को अपना घर वना लिया । हुमायूँ को छोड़कर उसके बाक़ी वशंज भारत ही में पैदा हुए । भारत में एक प्रधान शक्ति की जरूरत सम्राट हर्षवर्धन के बाद से यानी ईसा की सातवीं सदी के मध्य से सोलवीं सदी के शुरू तक करीब १०० साल तक भारत के अन्दर कोई भी प्रधान राजनैतिक शक्ति ऐसी उत्पन्न होने न पाई थी जो समस्त भारत को एक शासन के सूत्र मे बाँध सकती । ६०० साल के अन्दर भारत अनेक छोटी बड़ी एक दूसरे की प्रतिस्पर्धी रियासतों का युद्धक्षेत्र बना हुआ था। वह समय भारत के इतिहास मे राजनैतिक निर्बलता, अनैक्य और अव्यवस्था