पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज - पहली जिल्द.djvu/१६६

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पुस्तक प्रवेश

पुस्तक प्रवेश दोहराते रहो, भूलो नहीं । सचमुच अल्लाह एक है, सचमुच नी एक है, वहाँ तू भी एक है, वहाँ तू भी एक है, वहाँ तू भी एक है ! वहाँ न मै हूँ और न तू है ! निस्सन्देह हिन्दूमत, बौद्धमत और इसलाम के मेल से उस समय भारत के अन्दर उत्तर से दक्खिन तक और पूर्व से पच्छिम तक एक सुन्दर सार्वजनिक मानव धर्म की नीव रक्खी जा रही थी, जिसका मूल मन्त्र एकता, प्रेम और सब की सेवा था। भारतीय कला और मुसलमान निर्माणकला जिस तरह धार्मिक विचारों पर उसी तरह भारतीय निर्माणकला और भारत की चित्रकारी पर भी मुसलमानों के आने का बहुत गहरा और हितकर प्रभाव पड़ा। प्रोफेसर जदुनाथ सरकार लिखता है कि मुसलमानों के समय में भारत की निर्माणकला ने साफ़ उन्नति की। ईसा की आठवीं सदी तक भारतीय शिल्पकला पर बौद्धमत का खास असर था । आठवी से तेरवीं सदी तक इस कला में हिन्दू आदर्शों की प्रधानता रही, किन्तु फिर भी बौद्धमत का प्रभाव उस पर साझ दिखाई देता रहा । हम इस विषय की वैज्ञानिक बारीकियों में पड़ना नही • Tukaram's Abhanga, p 85, 86, Godbole's edition