मानव धर्म रहीम को एक समझो, कर्मकाण्ड और जातिभेद के बन्धनों को तोड़ दो और ईश्वर में विश्वास और मनुष्य मात्र के साथ प्रेम को सब मिलकर अपना एक समान धर्म बनायो ।" नामदेव महाराष्ट्र का पहला सन्त, जिसने लोगों को जातिभेद, कर्मकाण्ड और धार्मिक सङ्कीर्णता के बन्धन से हटा कर स्वतन्त्रता, प्रेम और भक्ति का उपदेश दिया, नामदेव था। रनाडे लिखना है कि नामदेव और दूसरे सन्तों के उपदेशों का नतीजा यह हुआ कि मराठी भाषा के साहित्य की उन्नति हुई, जातिभेद ढीला हुआ, खियों का पद ऊँचा हुआ, उदारता और दयालुता फैली, इसलाम के साथ हिन्दू मत का एक दरजे नक मेल हो गया, कर्मकाण्ड, नीर्थयात्रा इत्यादि का महत्व टा, प्रेम का महत्व बढा, अनेक देवी देवताओं की पूजा कम हुई, और विचारों और क्रियाओं दोनों के क्षेत्रों में राष्ट्र की ताकत बढी।। खेचर ____ नामदेव के गुरु खेचर ने नामदेव को लो उपदेश दिया उससे ज़ाहिर है कि खेचर मूर्तिपूजा का कट्टर विरोधी था। उसने कहा कि- __ "पत्थर का देवता कभी नहीं बोलता, तो फिर वह हमारे इस जीवन के दुःखों को कैसे दूर कर सकता है ? पत्थर की मूर्ति को लोग ईश्वर समझ बैठते हैं, किन्तु सच्चा ईश्वर बिलकुल दूसरा ही है। यदि पत्थर का देवता हमारी इच्छाएँ पूरी कर सकता तो
- Ranade Kuse of the Maratha Poarer, pp 50, 51
T Ibid.