पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज - पहली जिल्द.djvu/१६२

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पुस्तक प्रवेश

पुस्तक प्रवश "खोकड़ ( ? ) पच्छिम की तरफ को मुँह किए ईश्वर से प्रार्थना कर रहा है। ___"कोई अल्लाह की पूजा करता है, कोई अली की और कोई महमूद साई की। "मियाँ किसी जीव की हत्या नहीं करता और न मुरदार खाना है। "धीमी आँच के ऊपर वह अपना भोजन पका रहा है। "जात पात के भेद अब धीरे धीरे टूट जायँगे, क्योंकि देखो हिन्दू कुटुम्ब के अन्दर एक मुसलमान है। "ऐ खुदा ! मैं जानता हूँ तू और सब से बड़ा है । मैं बहुत चाहता हूँ कि तेरे मुँह से कुरान सुनें ।" महाराष्ट्र सन्त उत्तर भारत की तरह महाराष्ट्र के हिन्दू महात्माओं ने भी हिन्दू और मुसलमान धर्मों को मिलाने का प्रयत्न किया। प्रसिद्ध महाराष्ट्र विद्वान महादेव गोविन्द रनाडे लिखता है- “इसलाम का कठोर एक ईश्वरवाद कबीर, नानक इत्यादि सन्तों के चित्तों में सात घर कर गया था । हिन्दू त्रिमूर्ति दत्तात्रय के उपासक अक्सर अपने देवता को मुसलमान फक्नीर के से कपड़े पहनाते थे । यही प्रभाव महाराष्ट्र जनता के चित्तों पर और भी ज़ोरों के साथ काम कर रहा था । ब्राह्मण और अब्राह्मण दोनों तरह के प्रचारक वहाँ लोगों को उपदेश दे रहे थे कि राम और