पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज - पहली जिल्द.djvu/१५१

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मानव धर्म

- मानव धर्म दोनों भाई हाथ पगा, दोनों भाई कान। दोनों भाई नैन हैं, हिन्दू मूसलमान ॥ ना हम हिन्दू होहिंगे, ना हम मूसलमान । षट दरशन में हम नहीं, हम राते रहिमान । हिन्दू लागे देहुरे, भूसलमान मसीत । हम लागे इक अलख सौं, सदा निरन्तर प्रीत ।। ना तह हिन्दू देहुरा, ना तंह तुरक मसीत । दादू आपे आप है, नहीं तहां रह गीत ।। यह मसीत यहु देहुरा, सतगुरु दिया दिखाय । भीतर सेवा बन्दगी, बाहरि काहे जाय। दून्यू हाथी है रहे, मिलि रस पियान जाय ! दादू प्रापा मॅटिकर, दून्यू रहे लमाय ॥ यानी हिन्दू या मुसलमान सब के घट में एक ही प्रात्मा है। अल्लाह और राम एक है मेरा श्रम दूर होगया, हिन्दू और मुरु ई भेद नहीं है । सब में मुझे तू ही तू दिखाई देता है। ब्रह्मा, विष्णु और महेश का पन्थ क्या है, मोहम्मद का दीन राईल का क्या मार्ग है, एक अल्लाह उन सब का पीर और मुति अपने दिल में जानता है कि वे सब किसके हैं, वहीं अलख । दुनिया का गुरु है, उसके सिवा और कोई नहीं ।