पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज - पहली जिल्द.djvu/१४३

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मानव धर्म

मानव धर्म गुरु जी कहिया सुन अब्दुर्रहमान । दाना भूलो ताँ इक पिछान । हिन्दू जपते राम राम, मूसलमान खुदाय, इक्को राम रहीम है, मन में देखो लाय। यानी-हिन्दू मुसलमान दोनों एक खुदा के बन्दे हैं, किन्तु दोनों बेईमान, एक राम का और दूसरा रमूल का, झूटा दावा करके लड़ते हैं। हम न हिन्दू हैं और न मुसलमान, इन दोनों के दिलों में शैतान बसा है । गुरु नानक कहते हैं, ऐ अब्दुर्रहमान ! सुनो, ईश्वर एक ही है, मत मतान्तरों की हठ छोड़ दो, तब उस एक ईश्वर को पहचान सकोगे। हिन्दू राम राम जपने हैं, मुसलमान खुदा कहते हैं, किन्तु यदि अपनी श्रात्मा के अन्दर ध्यान से देखोगे तो मालूम होगा कि राम और रहीम एक ही हैं। एक दूसरे स्थान पर- तग न हिन्दू पाइया, तरंग म मुसलमान । दोए भूले राह ते, गालिब भया शतान ॥ जित दर लख्ख मोहम्मदा, लख ब्रह्मा बिश्न महेश । लख लख राम बडोरिएँ, लख राहें लख वेश । यानी-मार्ग न हिन्दू को मिला और न मुसलमान को-दोनों मार्ग से भटक गए, दोनों पर शैतान ग़ालिब हो गया ।