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पुस्तक प्रवेश

पुस्तक प्रवेश के इस देश में आने से बहुत पहले खिलाफ़त के अरव लोग यात्रियों के रूप मे इन तटों पर पहुँच चुके थे और देशवासियों के साथ तिक्षारत का सम्बन्ध और मेल जोल पैदा कर चुके थे। अव देश के ठीक इन्हीं हिस्सों में नवीं सदी से लेकर बारहवीं मदी नक वे ज़बरदस्त धार्मिक तहरीक शुरू हुई जो शङ्कर, रामानुज, आनन्दतीर्थ और वात्सय के नामों के साथ सम्बन्ध रखती हैं । ऐतिहासिक सम्प्रदायों में से अधिकांश इन्हीं तहरीकों से पैदा हुई और बहुत दिनों तक हिन्दोस्तान में इनसे मिलली जुलतो और कोई चीज़ न थी।"* थोड़ी सी सरसरी तुलना से मालूम हो सकता है कि उस समय के करीब करीब सब हिन्दू प्राचार्यों ने अपने समय के इसलाम से काफी विचार लिए। अब हम पाठवी सदी से लेकर पन्द्रहवीं सदी तक के मुख्य मुख्य भारतीय आचार्यों और महात्माओं के उपदेशों की इसलाम और सूफ़ियों के उपदेशों के साथ थोडी सी तुलना करते हैं। हमारा हरगिज़ यह मतलब नहीं है कि इन महात्माओं ने जिन सिद्धान्तों का प्रतिपादन किया, वे सब किसी न किसी रूप में या कम से कम बीज रूप में भारत के उससे पहले के धार्मिक साहित्य में मौजूद न थे, इसमें भी सन्देह नहीं कि ख़ासकर शङ्कर जैसे विद्वानों ने अधिकतर भारत के प्राचीन ज्ञान भण्डार से ही अपनी ज्ञान पिपासा को तृप्त किया और उसी आधार पर अपने शेष देशवासियों को ठीक मार्ग पर लाने का प्रयत्न किया।

  • Barth : Relngsons of India