इसलाम और भारत "इसलाम का प्रचारक बलप्रयोग न कर सकता था और xx जिन हमला करने वालों ने यहाँ पर विजय प्राप्त की और जो यहाँ बस गए, उन्होंने भी प्रायः कभी भी बलप्रयोग करना नहीं चाहा । इसकी वजह भी काफ़ी थी और वह वजह यह थी कि बलप्रयोग करने में उनका हित न था । वे राज, बादशाहते या साम्राज्य कायम करना चाहते थे; न कि अपनी ही टैक्स देने बाली प्रजा के साथ घरेलू युद्ध छेड़ना या इस विशाल द्वीपप्राय को युद्धप्रेमी जातियों की अदम्य शत्रुता को अपने विरुद्ध भडका लेना; ये जातियाँ हिन्दू थीं और हिन्दू रहीं।" तेरवी सदी के अन्त से सोलवीं सदी के प्रारम्भ तक जब कि भारत में अपना साम्राज्य कायम करने के लिए मुसलमानों के प्रयत्न जारी थे, उस समय के विषय में सर अलफ्रेड लॉयल लिखता है कि मुसलमान नरेश- ___ "आम तौर पर लडाई में इतने मशगूल रहते थे कि वे धर्म अचार की ओर अधिक ध्यान न दे सकते थे या यह कि उन्हें लोगों को मुसलमान बनाने की अपेक्षा उनसे टैक्स वसूल करने की अधिक चिन्ता रहती थी।"
- " The missionary of Islam could not use force and as tc
the anvaders who conquered and remained, they seldom or never wished to use it, for the sutficient reason that it was not their interest, They wanted to found pritrcipalities, or kingdoms, or an empire, not to wage an internecline war with their own taxpaying subjects or to arouse against themselves the unconquerable hostility at the warrior rares of the gigantic peninsula whe were and who remain Hindoos"-Ibid, p 45 + * . generally too basily engaged in fighting to pav much regard to the anterests of religion, or else thought more of the exaction o