स्वीकृति
सन् १९२६ के शुरू में मैंने कई कारणों से यह निश्चय किया था कि मैं कुछ दिनों तटस्थ बैठ कर देश की प्रधान समस्या, हिन्दू-मुसलिम प्रश्न, घर एकान्त में मनन करूँ। उसी समय अकस्मात् मुझे मेजर शामनदास बसु की निम्नलिखित पुस्तकों के पढ़ने का अवसर मिला--
(१) राइज़ आँफ दी क्रिश्चियन पावर इन इण्डिया---५ जिल्द
(२) कॉन्सालिडेशन ऑफ़ दी क्रिश्चियन पावर इन इण्डिया
(३) इन आफ़ इण्डियन ट्रेड एण्ड इण्डस्ट्रीज़, और
(४) एजूकेशन इन इण्डिया अण्डर दी ईस्ट इण्डिया कम्पनी
मैंने सोचा है कि अपने देश के सच्चे इतिहास से अपरिचित होना भी हमारी भ्रान्तियों के कारणों में से एक कारण है। पूर्वोक्त पुस्तकों में मुझे बहुत सी सामग्री ऐसी दिखाई दी जो इतिहास की अन्य पुस्तकों में नहीं मिलती और जिसका ज्ञान अपनी अनेक भूलों के दूर करने में हमारे लिए हितकर हो सकता है। मैंने अपने मुख्य कार्य के साथ साथ इन पुस्तकों का सङ्कलन हिन्दी पढ़ने वालों की