५०५ अवध और फरजाबाद पालिमेण्ट ने वेल्सली को दण्ड देने के स्थान पर ब्रिटिश साम्राज्य की इस सच्ची सेवा के बदले में उसे “धन्यवाद" देने का एक प्रस्ताव पास किया। इसके 2 महीने के अन्दर वेल्सली ने एक दूसरी छोटी सी रियासत फखाबाद पर कब्जा किया। रुखाबाद की फ़ खाबाद अवध की एक सामन्त रियासत रियासत का ___ थी। वहाँ के नवाब चार लाख रुपये सालाना बतौर खिराज के अवध के नवाब को दिया करते थे। एक अंगरेज़ रेजिडेण्ट भी फर्रुखाबाद के दरबार में रहा करता था। इस अंगरेज़ रेजिडेण्ट ने रियासत के प्रबन्ध में इस तरह दखल देना शुरू किया और इस तरह की ज़्यादतियों की कि फर्रुखाबाद के नवाब और अवध के नवाब दोनों को सख्त एतराज हुश्रा । मजबूर होकर सन् १७८७ में लॉर्ड कॉर्नवालिस ने रेजिडेण्ट को वापस बुला लिया और यह वादा किया कि आइन्दा न कोई रेजिडेण्ट फर्रुखाबाद भेजा जायगा और न रियासत के मामलों में किसी तरह का दखल दिया जायगा। नवम्बर सन् १८०१ में लॉर्ड वेल्सली ने इस वादे के विरुद्ध अपने भाई हैनरी वेल्सली को फर्रुखाबाद भेजा और उसे हिदायत की कि तुम किसी तरह वहाँ के नवाब इमदादहुसेन खां को इस बात पर राजी कर लो कि वह एक लाख रुपए सालाना पेनशन लेकर अपनी तमाम रियासत सदा के लिए कम्पनी के हवाले कर दे और उससे लिखवा कर दस्तखत करा लो। नवाब इमदादहुसेन
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अवध और फरजाबाद