पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज (दूसरी जिल्द).djvu/९

यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

के साथ साज़िश-होला मवार के विलगोखना-भरतपुर के राजा को लोभ-सींधिया की सेना में विश्वासघातक यूरोपियन अफसर । पृष्ठ ६३१-६९१ चौबीसवाँ अध्याय साम्राज्य विस्तार अंगरेज़ों का सैन्य जाल-चांदी की गोलियों से अहमद नगर विजय --पेशवा से गोल मोल वादा-पेशवा के मन्त्रियों को रिशवतें-भारतीयों में राष्ट्रीयता की कमी-प्रसाई का संग्राम-रिशवतों का बाजार-अंगरेजों की विजय-बरहानपुर पर कब्जा-सोधिया के यूरोपियन अफसरों की नमक हरामी-सुलह की बातचीत-अस्थाई सुलहनामा-अरगाँव पर अंगरेज़ों का हमला--विजय-गाविलगढ़ विजय-गायकवाड़ की सबसी- डीयरी सेना-पवनगढ़ विजय-उड़ीसा प्रान्त-जगन्नाथ पुरी, बालेश्वर और बारबट्टी पर अंगरेज़ों का कब्ज़ा-मयूरभंज की रानी-उड़ीसा में अंगरेज़ी शासन-दुष्काल-बुन्देलखण्ड पर कब्ज़ा-कोयल पर कना- अलीगढ़ विजय-लेक के गुप्त उपाय-चाँदी और सोने की गोलियाँ-दिल्ली का क्रियात्मक प्रभुत्व-आगरे के किले पर कब्ज़ा-लसवाड़ी का संग्राम- ग्वालियर विजय की योजना-जयपुर नरेश को भय प्रदर्शन-सींधिया और भोंसले के साथ सन्धि । पृष्ठ ६५२-७१०