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भारत में अंगरेज़ी राज

४४६ भारत में अंगरेजी राज इन रेजिडेण्टों का मुख्य कार्य हर भारतीय दरवार के अन्दर वहाँ के नरेश के विरुद्ध साजिश करना और दरबार में आपसी फूट डलवाना होता था। धीरे धीरे अवध के अन्दर भी रेजिडेण्ट की साजिशे और उनका प्रभाव बढ़ता चला गया। इसके बाद अवध के नवाब के साथ लॉर्ड कॉर्नवालिस और सर जॉन शोर की ज़्यादतियों का बयान ऊपर किया जा चुका है। टीपू और उसकी सल्तनत का अन्त कर देने के बाद मार्किस खेल्सली की दृष्टि भी अवध की ओर गई। सन् १७६८ में सर जॉन शोर ने नवाब वजीरअली को कैद ___ करके बनारस भेज दिया था और सादतअली अवध के बाद को उसकी जगह नवाब बनाकर उसके साथ सन् १७१८ को " एक नई सन्धि की थी, जिसे "चिरस्थायी सन्धि मित्रता" (Perpetual friendship ) की सन्धि लिखा गया है । इस सन्धि की १७ वीं धारा में दर्ज है- "कम्पनी की सरकार और नवाब की सरकार दोनों के बीच समस्त व्यवहार अस्थन्त प्रेम और मित्रता के साथ हुआ करेगा; ओर अपने घरेलू मामलों, अपनी पैतृक सल्तनत, अपनी सेना और अपनी प्रजा पर मवाव का अनन्य अधिकार रहेगा।" सादतअली ने सन्धि की शतों का पूरी ईमानदारी के साथ पालन किया, किन्तु इस सन्धि को अभी दो साल भी न हुए थे कि वेल्सली ने उसे तोड़ने के लिए बहाने ढूंढना शुरू किया। वजीरअली इस समय बनारस में कैद था। चेरी नामक एक