पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज (दूसरी जिल्द).djvu/८

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इकीसवाँ अध्याय पाजीराव का पुनरभिषेक बसई की सन्धि से मराठा मण्डल में लोभ-वाजीराव का पुनरभिषेक पृष्ठ १८५-२६३ बाईसवाँ अध्याय दूसरे मराठा युद्ध का प्रारम्भ बाजीराव का अपनी असहाय स्थिति पर विचार-मराठा मण्डल की परिस्थिति-बसई की सन्धि से मराठा मण्डल को आशंका-सींधिया और भोंसले के विरुद्ध वेल्सली की युद्ध की तय्यारी-अंगरेज़ कमाण्डर- इन-चीफ़ लार्ड लेक-मराठा मण्डल में एकता के प्रयत्न-अंगरेज़ों की युद्ध की गुप्त तय्यारी-बरार के राजा को धमकी-मराठा नरेशों के साथ युद्ध का निश्चय-युद्ध का एलान-पार्लिमेण्ट में दूसरे मराठा युद्ध का प्रश्न । पृष्ट ५६४-६३० तेईसवाँ अध्याय साज़िशों का जाल मराठा नरेशों की परिस्थिति-होलकर को सींधिया से फोड़ने के प्रयन-अमीर ख़ाँ के साथ साज़िश-सोंधिया के विरुद्ध अन्य षड्यन्त्र- सम्राट शाह पालम को सींधिया से फोड़ना-शाह आलम से छल- सींधिया के सामन्तों के साथ साज़िशे-सींधिया के विरुद्ध सिख सरदारों