.. बीपशुलतान शुभ योग था। अल्लाह ताला की मदद से यह बाँध कयामत के दिन तक कायम और स्थिर तारों के समान अटल रहे। इस बाँध की तैयारी में जो लखूखा रुपए सरकार खुदादाद ने खर्च किए, वे केवल अल्लाह की राह में खर्च किए गए हैं। सिवाय इस समय की पुरानी या नई खेती बाड़ी के, जो कोई मनुष्य कि पड़ती जमीन में (इस नए जलाशय के जल की सहायता से ) खेती बाड़ी करेगा, अपनी जमीन के फलो या नाज की पैदावार का जो भाग धाम तौर पर नियम के अनुसार दूसरी प्रजा सरकार को देती है, उस भाग का वह केवल तीन चौथाई .खुदादाद सरकार को दे और बाकी एक चौथाई अल्लाह की राह में माफ है। और जो कोई मनुष्य कि नई जमीन में खेती बाड़ी करेगा उसकी औलाद और उसके वारिसों के पास वह जमीन पीढ़ी दर पीढ़ी उस समय तक कायम व बहाल रहेगी जिस समय तक कि जमीन और पासमान कायम हैं। अगर कोई शख्श इसमें रुकावट डाले या इस अनन्त खैगत में बाधक हो तो वह कमीना, शैतान एमलऊन के समान, मनुष्य जाति का दुश्मन और किसानों की नसल का बल्कि समस्त प्राणियों की नसल का दुश्मन समझा जायगा। बिस्वा सस्यद जाफर निस्सन्देह इस राजकीय लेख के भावों का आजकल के राजकीय लेखों में मिल सकना नामुमकिन है।
पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज (दूसरी जिल्द).djvu/७४
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।
४८९
टीपू सुल्तान