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भारत में अंगरेज़ी राज

१९०६ भारत में अंगरेज़ी राज धाराओं पर बहस करने की आवश्यकता है। यह दिखाने के लिए कि सन् १८१३ के एक्ट के समान सन् १८३३ का एक्ट भो भारत के लिए कितना नाशकर साबित हुश्रा, हम केवल इङ्गलिस्तान की 'इण्डिया रिफ़ॉर्म सोसाइटी' की एक पत्रिका के कुछ वाक्य नीचे उद्धत करते हैं । यह सोसायटी सन् १८५३ में कायम हुई थी। एक पत्रिका द्वारा इसने इङ्गलिस्तान की प्रजा को यह दिखाने की कोशिश की कि सन् १८३३ के कानून के अनुसार जिस तरह का शासन बीस वर्ष तक भारत पर जारी रहा उसका परिणाम भारत के लिए कितना अहितकर हुश्रा । हम ठीक इस पत्रिका के ही शब्दों में सन् १८३३ के चारटर के परिणामों को नीचे बयान करते हैं। इस पत्रिका में लिखा है - "x x x इस जाँच में हमारा पहला काम यह है कि हम भारत के उस शासन को, जो सन् १८३३ की पद्धति के अनुसार चलाया गया, सुशासन की कुछ कसौटियों पर कस कर देखें । "पहली कसौटो-शान्ति । "सन् १८३४ से अब तक x x x १६ साल में से १५ साल भारत की अंगरेज़ सरकार के युद्धों में बीते । "ये युद्ध भारतवासियों की रक्षा के लिए आवश्यक न थे, भारतवासियों की उन्नति इन युद्धों से रुकी है और उनके सुख में बाधा पड़ी है, xxx किन्तु ये सब युद्ध उस शासन पद्धति के साधारण परिणाम थे जो सन् १८३३ मे कायम की गई । xxx "दूसरी कसौटो-सरकार की प्रार्थिक स्थिति ।