लॉर्ड विलियम बेण्टि १०६७ वास्तव में लॉर्ड बेण्टिङ्क की ये दोनों योजनाएँ केवल सन् १८६९-१८४२ के अफ़ग़ान युद्ध और उसके बाद के सिन्ध और पंजाब के युद्धों की तैयारी थी। ज़ाहिर है कि लॉर्ड बेसिक को नज़र सिन्ध, पंजाव और अफगानिस्तान तोनों पर थी। इतिहास लेखक मेसन ने इस सम्बन्ध में लॉर्ड बेण्टिक के कपट को बड़े विस्तार के साथ दिखलाया है । विक्टर जैकमॉएड ने लिखा है कि बेण्टिङ्क ने सिन्ध के अमीरों को यह डर दिखाया कि यदि आप लोग अंगरेज़ी जहाजों के जाने में बाधक होंगे तो कम्पनी सरकार और महाराजा रणजीतसिंह दोनों श्राप से नाराज़ हो जायेंगे और फिर मजबूर होकर अंगरेजों को रणजीतसिंह को सिन्ध के विजय करने में सहायता देनो पड़ेगी। दूसरी ओर अमीरों को यह भी विश्वास दिलाया गया कि इस कार्य द्वारा अंगरेज़ों का कोई इरादा सिन्ध को हानि पहुँचाने का नहीं है, और यदि आप लोगों ने इजाज़त दे दी तो सिन्ध और कम्पनी की मित्रता सदा के लिए पक्की हो जायगी। इस प्रकार डरा कर और बहका कर बेण्टिक ने अमीरों से इजाज़त हासिल कर लो। अमोरों ने कम्पनो के जहाजों के लिए सिन्धु नदी के तट के बराबर बराबर हर तरह की सुविधाएँ कर दीं। मेसन लिखता है कि इस उपहार भेजने के बहाने सिन्धु नदी के किनारे फौजे भेज दी गई ओर करीब छै सशस्त्र जहाज़ नदी में पहले से भेज दिए गए। • Masson's Travells, vol ul, p 432
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लॉर्ड विलियम बेण्टिक