पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज (दूसरी जिल्द).djvu/६८९

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लॉर्ड विलियम बेण्टिक

लॉर्ड विलियम बेण्टिङ्ग १०५ का कुछ इलाका इसलिए ज़ब्त कर लिया कि राजा ने कम्पनी के साथ सन्धि की कुछ शर्तों का उल्लङ्घन किया था! कुर्ग और कछाड़ के अतिरिक्त और कोई रियासत वेण्टिक ने बाकायदा कम्पनी के इलाके में नहीं मिलाई, मैसूर राज में किन्तु अनेक अन्य रियासतों के शासन प्रबन्ध में हस्तक्षेप उसने बलात् हस्तक्षेप किया। इनमें से मुख्य मैसूर की रियासत थो। हैदरअली और टीपू सुलतान ने अपनी वीरता से मैसूर की प्राचीन हिन्दू रियासत को बढ़ा कर एक बहुत बड़ो सल्तनत बना दिया था। सन् १७६६ में टीपू की वीरगति के बाद अंगरेजों ने उस विशाल सल्तनत का एक टुकड़ा अनेक कठिन शर्तों के साथ मैसूर के राजकुल को लौटा दिया। राजा और कम्पनी के बीच सबसीडोयरी सन्धि हो गई । मैसूर के राजा सन् १७६६ से १८३१ तक उस सन्धि की शर्तों का ईमानदारी के साथ पालन करते रहे और प्रति वर्ष सबसीडी की रकम ठीक समय पर कम्पनी को अदा करते रहे। मैसूर को साफ़ साफ़ कम्पनी के राज में मिलाने में एक और बड़ी कठिनाई थी। कम्पनी और निज़ाम में यह समझौता हो चुका था कि यदि मैसूर की रियासत को कभी समाप्त किया जायगा तो प्राधा मैसूर कम्पनी के पास रहेगा और आधा निज़ाम को दिया जायगा। निज़ाम के बल को बढ़ाना लॉर्ड बेण्टिा को पसन्द न हो सकता था। किन्तु निजाम की मित्रता बनाए रखना