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भारत में अंगरेज़ी राज

२०७४ भारत में अंगरेजी राज प्रत्येक करनल को २५,००० रुपए, प्रत्येक लेफ्टनेण्ट करनल को १५,००० रु०, प्रत्येक मेजर को १०,००० रु०, प्रत्येक कप्तान को ५,००० रु०, और प्रत्येक सबाल्टर्न अर्थात् कप्तान से छोटे अफ़सर को २,५०० रु० ।* इसके बाद कुर्ग को विजय करने में कम्पनी का जो मुख्य उद्देश था वह भी शोघ्र ही पूरा हो गया। कुर्ग की भूमि कहवे (काफ़ी) की पैदावार के लिए अत्यन्त उपयुक्त थी। अनेक अंगरेजों को वहाँ बसा दिया गया और जंगल के जंगल उन्हें इस कार्य के लिए मुक्त दे दिए गए । सन् १६०४ में वहाँ लगभग ५०,००० एकड़ ज़मीन कहवे को खेती में लगी हुई थी और कहवे की खेती करने वाले हज़ारों अंगरेज काश्तकार वहाँ बसे हुए थे। पिछले अध्याय में आ चुका है कि सन् १८२४ में ऐमहर्ट ने बरमा युद्ध में विजय प्राप्त करने के लिए कछाड़ कछाड़ की के राजा गोविन्दचन्द्र नारिन के साथ सन्धि रियासत का कर ली थी। कहा जाता है कि सन् १८३० में किसी ने ( ? ) राजा गोविन्दचन्द्र को कत्ल कर दिया। राजा के कोई पुत्र न था, बेण्टिक ने इसी बिना पर शान्ति के साथ कछाड़ की रियासत को कम्पनी के इलाके में मिला लिया। भारत छोड़ने से थोड़े दिनों पहले बेण्टिङ्क ने जैम्तिया के राजा कर ली अन्त • Astatsc Journal, May, 1836, p 33