पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज (दूसरी जिल्द).djvu/६८१

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लॉर्ड विलियम बेण्टिक

लॉर्ड विलियम बेण्टिक १०७७ गम्भीर विचारों को जो प्रायः अधिक धन के कारण उत्पन्न होते हैं, दवा देना आवश्यक है। ये चीजें हमारी सत्ता और हमारे हित के स्पष्ट विरुद्ध है xxx। हमें यहाँ सेनापतियों, राजनीतिज्ञों और कानून बनाने वालों की जरूरत नहीं है, हमें इस देश में केवल परिश्रमी किसानों की आवश्यकता है।"* शुरू से ही कम्पनी के भारतीय शासन की यही निश्चित नीति . थी। इस नीति को सामने रख कर गवरनर- अंगरेज़ सरकार की जनरल बेरिट की काररवाइयों को समझना निश्चित नीति अत्यन्त सरल होगा। एक दूसरा निष्पक्ष अंगरेज़ फ्रेड्रिक शोर लॉर्ड बेण्टिङ्क के समस्त शासन काल का सार वर्णन करते हुए लिखता है- "xx.x उसके नेक इरादों से भारत की ब्रिटिश सरकार के मूल सिद्धान्त में कभी भी अन्तर नहीं पड़ने पाया, वह सिद्धान्त यह है कि हिन्दोस्तान के लोगों से धन चूस कर अपनं को और अपन ( इङ्गलिस्तान निवासो) मालिकों को धनवान बनाया जाय xxx रसद और बेगार की


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  • "It is very proper that in England, agood share of the produce of

the earth should be appropriated to support certain familhes in afluence, to produce senators, sages, and heroes tor the service and detence of the state, The leisure, independence, and high ideas, which the enjoyment of this rent affords, has enabled them to raise Britain to the pinnacle of glory Long may they enjoy it,-but in India, that haughty spint, independence, and deep thought, which the possession of great wealth sometimes gives, ought to be suppressed They are directly adverse to our power and interest We do not want generals, statesmen, and legislators, we want Industrious husbandmen "-Minute of Mr William Thackeray, Member Madras Council