भारत में गरेजी राज • टीपू के शेष चरित्र के विषय में, उस समय के समस्त ऐतिहासिक उल्लेखों से साबित है कि टीयू एक टीपू की . अत्यन्त योग्य शासक और अपनी प्रजा का सचा प्रजापालकता हितचिन्तक था। उसकी सारी प्रजा उससे अत्यन्त प्रसन्न और सन्तुष्ट थी। किसानों का वह विशेष मित्र था। उसने अपने राज भर में इस बात की कडो पाहा दे रक्खी थी कि कोई प्रटेल, पामिलदार या अन्य सरकारी कर्मचारी प्रजा के किसी मनुष्य से किसी तरह की 'बेगार' न ले, यानी उसकी इच्छा के विरुद्ध कोई कार्य न करावे । लगान की वसूली में किसी प्रकार की भी सस्ती की इजाजत न थी। ___टीपू का कोई बड़े से बड़ा कर्मचारी भी यदि प्रजा पर किसी तरह का अत्याचार करता तो टीपू उसे सस्त से सख्त सजा देता था। हर गाँव क लोगों को अपने यहां के रस्म रिवाज सम्बन्धी या अन्य आपसी झगड़े स्वयं पञ्चायत द्वारा तय करने का अधिकार था और किसी राजकर्मचारी को उनमें दखल देने की इजाजत न थी। किसानों की बहवूदी के दूसरे तरीकों की ओर से भी टीपू बेखबर न था। हाल में मैसूर राज के अन्दर टीपू का एक खेतों की श्रावपाशी और अन्य कामों के लिए शिलालेख कावेरी नदी के ऊपर एक बहुत बडा जलाशय • Tippu Sultan 1749-1799, A D by Raghevendra Rao, M A The Mysore Scout, for July 1927,
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भारत में अंगरेज़ी राज